दोस्तों Pregnancy के दौरान एक women के शरीर में कई तरह के changes आते हैं। एक तरफ baby के आने की खुशी होती है तो दूसरी तरफ डिलीवरी का डर। आजकल की बदलती lifestyle के कारण डिलीवरी के समय होने वाली परेशानियां women और baby दोनों को बहुत affect करती हैं। डिलीवरी यानी वो process जिससे माँ baby को जन्म देती है।
दोस्तों आप दो तरह की डिलीवरी के बारे में तो जानते ही होंगे, जिनमें से एक है Normal डिलीवरी और दूसरी C Section Delivery। अगर माँ और गर्भ में पल रहा baby दोनों healthy हों तो normal delivery की ही संभावना होती है लेकिन abnormal या complicated स्थितियों में सी-सेक्शन डिलीवरी की ज़रूरत पड़ती है। बहुत कम लोग यह जानते हैं कि इन दोनों के अलावा भी कुछ ऐसे तरीके हैं जिनका इस्तेमाल delivery के दौरान किया जाता है।
तो दोस्तों आज के विडिओ में चलिए जानते हैं delivery के कुछ तरीकों के बारे में।
डिलीवरी कितनी तरह से होती है (Types of Baby Delivery in Hindi)
#1. सामान्य डिलीवरी (Normal Delivery)
सामान्य डिलीवरी यानी वो डिलीवरी जिसमें baby का जन्म माँ की vagina के माध्यम से होता है। यह बेहद सुरक्षित उपाय है। Normal delivery होने पर सामान्यता महिलाएं 38-41 सप्ताह में बच्चे को जन्म देती हैं। इसमें पहले यह बताना मुश्किल होता है कि delivery कब होगा। experts के अनुसार लगभग 80 प्रतिशत women में normal delivery की संभावना होती है लेकिन अगर कोई problem हो तो अन्य तरीकों को अपनाया जाता है। Normal Delivery बेहद सरल और सुरक्षित होता है। इससे mother और baby बहुत जल्दी स्वस्थ हो जाते हैं और अस्पताल में भी उन्हें कम समय तक रहना पड़ता है। इसके साथ ही ऐसे बच्चों में infection की भी कम संभावना होती है।
इसमें delivery के कुछ समय पहले pregnant women को दर्द होना शुरू होता है हालाँकि इस दर्द की अवधि किन्हीं मामलों में अधिक भी हो सकती है। इसके बाद vagina के माध्यम से baby का जन्म होता है।
Normal delivery में भी दो तरीके हो सकते हैं जिनमें से पहले में delivery के समय होने वाली pain को कम करने के लिए किसी भी दवाई या इंजेक्शन का प्रयोग नहीं किया जाता बल्कि उस समय हो रही pain और pressure को सहन करते हुए ही माँ baby को जन्म देती है। जबकि दूसरे में एपिड्यूरल इंजेक्शन (epidural injection) का प्रयोग किया जाता है जिससे माँ को कम दर्द होता है और बिना किसी pain के माँ baby को जन्म देती है।
#2. सी-सेक्शन (C-Section Delivery)
सी-सेक्शन में women के पेट को चीर कर baby को बाहर निकाला जाता है। इसके लिए होने वाली motherको पहले एनेस्थीसिया के प्रयोग से बेहोश किया जाता है और उसके बाद पेट के नीचे वाले हिस्से को सुन्न कर के उसमे चीरा लगा कर delivery कराया जाता है। यह थोड़ी difficult process है जिसके दौरान mother को बहुत परेशानी और pain से गुजरना पड़ता है, हालाँकि इसमें पहले दर्द नहीं होता लेकिन delivery के बाद कई दिनों तक mother को बहुत अधिक precaution बरतनी पड़ती हैं।
इसमें दवा के असर से delivery के तुरंत बाद दर्द शुरू नहीं होता लेकिन बाद में unbearable pain होता है और यही नहीं इसमें जो खून निकलता है वो normal delivery से तीन गुना अधिक होता है। exceptional circumstances में ही सी-सेक्शन delivery को प्राथमिकता दी जाती है जैसे अगर womb में एक से अधिक बच्चे हों, बच्चे का वजन बहुत अधिक हो, पहले भी सर्जरी हुई हो या माँ या बच्चे को कोई गंभीर समस्या हो।
#3. Vacuum Extraction Delivery
Vacuum extraction delivery, यह ऐसी Birth Process है जिसका प्रयोग normal delivery के दौरान किया जाता है। कभी-कभी normal delivery के समय ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है जब baby का umbilical cord गर्भ से बाहर आते हुए आगे बढ़ना रुक जाता है या baby आगे नहीं बढ़ पाता। ऐसे में डॉक्टर एक मशीन का प्रयोग करते हैं जिसे वैक्यूम कहा जाता है। इसमें एक नरम कप होता है जो हैंडल और वैक्यूम पंप से जुड़ा होता है। इस कप को baby के सिर पर लगा कर धीरे-धीरे बाहर निकाला जाता है। इस वैक्यूम को बनाया ही इसलिए जाता है ताकि बच्चे को आराम से गर्भ से योनि से बाहर निकाला जा सके।
#4. Foreseps Delivery
यह delivery का एक different और unique तरीका है और normal delivery में इस तरह की तकनीक का भी प्रयोग किया जा सकता है। इसका प्रयोग भी तब किया जाता है जब baby बाहर आने के लिए तैयार होता है लेकिन किसी कारण आ नहीं पाता। इसका कारण कोई obstacle, माँ का थक जाना या बेहोश हो जाना हो सकता है, जिसके कारण माँ पुश नहीं कर पाती, जिसके कारण बच्चा बाहर आने में असमर्थ हो जाता है। इसमें डॉक्टर baby को बाहर निकालने के लिए फोरसेप्स का प्रयोग करते है जो एक तरह से चिमटे के आकर का होता है। इसे धीरे से women की vagina में डाला जाता है और फोरसेप्स से baby के सिर को पकड़ा जाता है और धीरे-धीरे बाहर निकाला जाता है।
#5. VBAC Delivery
VBAC की फुल फॉर्म है “वैजिनल बर्थ आफ्टर सिजेरियन” मतलब अगर एक बार महिला सिजेरियन डिलीवरी से गुजर चुकी हो तो ऐसा नहीं है कि अगली बार उसका natural delivery न हो। हालाँकि यह हर मामले में संभव नहीं होता बल्कि यह आमतौर पर उन मामलों में संभव होता है जहाँ पहली बार किसी समस्या के कारण ऐसा किया जाता है जैसे अगर baby माँ के गर्भ के पीछे वाले हिस्से में हो या माँ को कोई गंभीर स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो जिसके कारण पहली बार सिजेरियन delivery करवाया गया हो। ऐसा देखा गया है कि लगभग 70 फीसदी महिलाओं की डिलीवरी ऐसे होती है अर्थात करीब 70 फीसदी महिलाएं जिनका पहला delivery सिजेरियन हुआ हो उनका अगली बार natural delivery होता है।
तो दोस्तों अब आप यह जान ही गए होंगे कि सी सेक्शन डिलीवरी के बाद भी कई बार नॉर्मल डिलीवरी मुमकिन होती है। इन सारे डिलीवरी के types के अलावा भी कई बार situations के कारण कई अन्य तरीकों से डिलीवरी कराई जाती है।
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