TVS sonography in Pregnancy

 


pregnancy ऐसा period है, जब महिला को embryo की सुरक्षा सुनिश्चित करने और प्रेग्नेंसी के जोखिम से वाकिफ होने के लिए कई तरह के टेस्ट करवाने होते हैं। pregnancy की पहली तिमाही में होने वाली किसी भी तरह की complication का पता लगाने और उसके निदान के लिए की जाने वाली जांच प्रक्रियाओं में TVS SCAN भी शामिल है। इसका पूरा नाम ट्रांसवेजाइनल स्कैन है।

क्या है यह टीवीएस टेस्ट, TVS scan क्यों किया जाता है और इसकी प्रक्रिया क्या है? इस विडिओ में हम आपको इससे जुड़ी detail information देंगे। 

ट्रांसवेजाइनल स्कैन एक internal अल्ट्रासाउंड स्कैन है, जिसे vagina के माध्यम से किया जाता है। इस स्कैन के लिए vagina में हाई फ्रीक्वेंसी एंडोवेजाइनल प्रोब इंसर्ट किया जाता है, जिसे ट्रांसड्यूसर (Transducer) कहते हैं । ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड महिला के uterus, ovary , ट्यूब, सर्विक्स और पेल्विक एरिया और इनसे जुड़ी समस्याओं का पता लगाने के लिए किया जाता है ।

यह एक internal test है जहाँ डॉक्टर vagina में एक अल्ट्रासाउंड instrument डालता है  जिसे probe कहते हैं। और प्रोब से निकलने वाली sound waves से fetus   की image बनाने में मदद मिलती है। जब image  को बड़ा किया जाता है, तो डॉक्टर किसी भी abnormality या anomalies को determine कर सकता है।

आइए अब आगे जानते हैं टीवीएस टेस्ट को कब और क्यों किया जाता है।

ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड pregnancy की पहली तिमाही में किया जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि pregnancy  की शुरुआत में आपका baby बहुत छोटा और आपके पेट में बहुत नीचे की तरफ होता है, इसलिए इसे पेट पर से किए जाने वाले स्कैन में स्पष्ट रूप से नहीं देखा जा सकता। ट्रांसवेजाइनल स्कैन करने पर डॉक्टर आपकी vagina के जरिये uterus के भीतर देख सकते हैं।

मिसकैरिज या ectopic pregnancy का history होने पर, pregnant women को अत्यधिक दर्द होने पर, bleeding होने पर या अगर infertility का इलाज करवाया गया हो तो डॉक्टर छह से दस सप्ताह के दौरान टीवीएस अल्ट्रासाउंड का सुझाव दे सकते हैं। अवधि समाप्त होने तक या दस सप्ताह के बाद भी यह scan किया जाता है।

टीवीएस स्कैन में लगभग 30 से 60 मिनट का समय लगता है जिसमें होने वाली माँ को test के लिए तैयार करना भी शामिल है। यह तब किया जाता है जब डॉक्टर pregnancy के प्रारंभिक चरण के दौरान embryo के विकास को देखना चाहते हैं, अर्थात दसवें सप्ताह के पहले।  ट्रांसवेजाइनल स्कैन डॉक्टर को बच्चे को देखने में मदद करता है क्योंकि सिर्फ पेट के स्कैन के माध्यम से बच्चे को देखना संभव नहीं है क्योंकि बच्चा अभी बहुत छोटा है और माँ के पेट में बिलकुल नीचे रहता है।

डॉक्टर इस test से बच्चे के दिल की धड़कन को सुन सकते हैं और किसी भी complication का पता लगा सकते हैं। ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड टेस्ट के अन्य लाभ भी हैं, डॉक्टर ectopic pregnancy की किसी भी संभावना को समाप्त कर सकते हैं और यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि pregnancy बिल्कुल सही दिशा में है। यह स्कैन यह जाँचने में भी मदद करता है कि क्या माँ के गर्भ में जुड़वाँ या तीन बच्चा है या नहीं है। इसके अलावा, यदि माँ के पेट के निचले हिस्से में दर्द है या हल्का bleeding  है, तो डॉक्टर यह test करके इन सब परेशानियों के कारण का पता लगा सकते हैं।

 

आइए अब tvs scan के process को जानते हैं।

टेस्ट के लिए कमर से नीचे के कपड़े उतारने की आवश्यकता होती है. कमर से नीचे कपड़े उतारने के बाद आपको अपनी पीठ के बल अपने पैरो को फैलाकर लेटने के लिए कहा जाएगा और पैरो को फैलाकर घुटनों को मोड़ने के लिए कहा जाएगा। नर्स आपके निचले आधे हिस्से को एक चादर से ढंक देगी। डॉक्टर vagina  में लगभग दो से तीन इंच तक probes डालेंगी। इस probes में एक लेटेक्स की कवरिंग होती है जिसमें थोड़ा जेल लगाया जाता है ताकि उसे आसानी से vagina  में प्रवेश कराया जा सकें।

प्रोब अंदर sound wave को transmit  करता है और उन waves के image को रिकार्ड करता है।

वहीं, अल्ट्रासाउंड मशीन शरीर के अंग की एक image बनाती है, जिसे मॉनिटर पर देखा जाता है।

इस दौरान investigator  आवश्यकता के अनुसार प्रोब को चारों ओर घुमाता है और पूरे जगह की image को निकालता है।

ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड के कोई known harmful effect नहीं हैं। एक्स-रे के विपरीत इस टेस्ट में कोई रेडिएशन का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इसी वजह से इसमें रेडिएशन का खतरा भी नहीं है।

Tvs scan की cost की बात करें तो टीवीएस स्कैन की लागत हर शहर में भिन्न हो सकती है। यहाँ तक कि आपके द्वारा चुने गए मेडिकल सेंटर भी लागत को प्रभावित कर सकता है। लेकिन औसतन एक टीवीएस स्कैन की कीमत 700 रुपए से 1100 रुपए के बीच होती है।

दोस्तों उम्मीद करता हूँ की ये information आपको अच्छी लगी होगी और ये जानकारी आपको समझ में भी आ गई होगी। दोस्तों ऐसे ही informative video देखने के लिए हमारे चैनल को सबस्क्राइब करना ना भूले और विडिओ के अपडेट पाने के लिए bell icon को जरूर press कर दें।

 

Circulatory system

 

Hello दोस्तों स्वागत है हमारे चैनल के एक और नए विडिओ में।

दोस्तों humans और अन्य animals का circulatory system, organs का वह system होता है जो शरीर के भीतर different materials के transportation के लिए responsible होता है| इसमें Heart, Blood और Blood vessels होते है। Heart, Blood को बाहर की तरफ धक्का देने वाले पंप के रूप में काम करता है| Blood vessels यानि arteries, veins  और capillaries, ट्यूब की तरह काम करती हैं जिनसे होकर Blood  flow होता है|

Human और अन्य vertebrate’s के circulatory system, closed circulatory system होते हैं। अर्थात् इनमें blood कभी भी arteries, veins और capillaries के network से बाहर नहीं जाता है। 

वहीं invertebrates के circulatory system, open circulatory system होते हैं। बहुत से Primitive Animals में  Circulatory System होता ही नहीं है but सभी animals का Lymphatic System एक open system होता है । 

Circulatory System का main function पूरे body के प्रत्येक भाग में blood को पहुँचाना है, जिससे उसे nutrition और आक्सीजन प्राप्त हो सके। 

दोस्तों आइए अब हम अपने circulatory system के different components को detail में जानते हैं।

Circulatory System के main 3 components होते हैं, जिनमें Heart, Blood, और Blood vessels शामिल है।

दोस्तों Blood के ऊपर already मैंने 2 video upload किया है। blood component को समझने के लिए आप उन विडिओ को देख सकते हैं। उन विडिओ की लिंक आपको ऊपर I button और नीचे description में मिल जाएगी।

इस विडिओ में मैं आपको Heart और Blood vessels के बारे में बताऊँगा।  

हृदय (Heart) 

Human heart,triangular shape ,का hollow,और muscular organ होता है जो cardiac tissues का बना होता है।  यह एक cover द्वारा घिरा होता है जिसे pericardium कहते हैं।  इसमें पेरिकार्डियल fluid भरा होता है जो हार्ट को external shock से protect करता है। हार्ट पम्प की भाँति कार्य करता है। यह अन्दर के temperature को बनाए रखने तथा cells को नियमित रूप से balance diet पहुँचाने का कार्य  continuous रूप से करता है। यदि हार्ट अपना function बन्द कर दे तो बॉडी में different waste product like लेक्टिक acid, urea,  फॉस्फेट, कार्बन डाई-ऑक्साइड जैसे पदार्थों की मात्रा बढ़ने लगेगी जिससे cells की death हो जाएगी ।

दोस्तों हार्ट के स्टडी को कार्डियोलॉजी कहते हैं। एक adult human  का heart एक मिनट में 72 times धड़कता है जबकि एक new born baby का heart 120-160 बार धड़कता है । एक heart beat में heart 70 ml blood को pump करता है।

दोस्तों हमारा हार्ट 75% chest के बाईं ओर और बाकी दाईं ओर स्थित होता है। चूँकि यह एक muscular pump है, इसमें चार चैम्बर और वाल्व शामिल हैं जो हार्ट से पूरे शरीर तक और फिर वापस हार्ट तक blood पंप करने का function करते हैं। हार्ट में ऊपर के दोनों चैम्बर्स को एट्रिआ या auricle के रूप में जाना जाता है, जबकि नीचे के दोनों हिस्सों को वेंट्रिकल कहा जाता है। इस प्रकार, हार्ट के दाहिने हिस्से में right auricle और right ventricle होते हैं और बाएं हिस्से में left auricle और left ventricle शामिल होते हैं। एक muscular wall जो दोनों side को अलग करती है, उसे सेप्टम कहा जाता है। एट्रिआ और वेंट्रिकल एक साथ काम करते हैं, जो  हार्ट  से blood को पंप करके पुरे शरीर में भेजते हैं, फिर blood वापस लाने के लिए contract करते हैं।

Heart में auricle और ventricle के बीच मे एक वैल्व होते है, जिन्हे atrio-ventricular valve कहते हैं, जो blood को opposite direction में जाने से रोकते हैं। इन्ही valve के बंद होने से हार्ट में लब-डब की आवाज आती है।

दोस्तों heart beat का control पेस मेकर करता है। जो right atrium में होता है इसे heart of heart भी कहते है। sinoatrial node को natural pacemaker कहा जाता है,और av node यानि atrio-ventricular node को reserve pacemaker कहा जाता है।

2. Blood vessels:

शरीर में blood circulation vessels के द्वारा होता है, जिन्हें Blood Vessels कहते हैं। human body मे 3 types के blood vessels होती है, जिन्हे arteries veins और capillaries कहते हैं।

1) धमनियाँ (Arteries)-

Pure यानि oxygenated blood को हार्ट से शरीर के अन्य अंगों तक ले जाने वाली vessels को arteries कहते हैं। इनमें blood flow तेज व high pressure पर होता है। इसका मुख्य कारण arteries का लचीला यानि flexible होना और इसके wall का मोटा होना है। arteries हमारे पूरे शरीर में पाईं जाती हैं | मुख्य artery को aorta कहते हैं | यह वॉल्व के माध्यम से heart के बाएं auricle से जुड़ी होती है | इसका main function left ventricle से oxygenated blood को लेना और lungs को छोड़कर शरीर के बाकी हिस्सों तक पहुंचाना है।

2) शिराएँ (Veins)

Veins organs से blood को वापस हार्ट में लाती हैं । veins की दीवाल fine और palpable होती है। veins में impure blood का flow होता है। veins की wall मे muscular layer बहुत पतला होता है और इनकी cavity काफी चौड़ी होती है तथा इसमें थोड़ी-थोड़ी दूर पर valve लगे होते हैं ।

3) केशिकाएँ (Capillaries)-

दोस्तों capillaries veins और arteries को आपस में जोड़ती हैं। tissue में पहुँचकर arteries एक fine network बनाती हैं जिन्हें capillaries कहते हैं। capillaries की wall केवल Endothelium के एक layer की बनी होती है। capillaries में blood flow की speed बहुत slow होती है।

दोस्तों आइए अब heart मे blood circulation के process को जानते हैं।

सबसे पहले Lungs से pulmonary vein के द्वारा oxygenated blood को heart के left atrium मे लाया जाता है। जब left atrium contract करता है तो यह oxygenated blood, bicuspid valve के through left ventricle मे चल आता है।

Left ventricle के contraction से यह oxygenated blood, left ventricle से सीधे main artery यानि aorta मे चल जाता है। जहा से इस blood को पूरे सरीर के organs तक पहुंचा दिया जाता है। इस प्रकार शरीर की cells को arteries से ऑक्सीजन मिलता है और फिर cells द्वारा oxygen लेने के बाद blood, deoxygenated हो जाता है | अब deoxygenated blood largest vein यानि superior और inferior venacava के through heart के right atrium में चला जाता है।

जब right atrium contract करता है, तो यह deoxygenated blood, tricuspid valve के through right ventricle मे आता है और right ventricle के contraction के बाद यह deoxygenated blood pulmonary आर्टेरी के through सीधे lungs तक पहुंचा दिया जाता है। lungs मे यह deoxygenated blood co2 को release कर oxygen को receive करता है और एक बार फिर से यह ब्लड oxygenated होकर heart के left atrium मे enter करता है।

अब हम यह कह सकते हैं कि circulatory system वह होता है जिसमें शरीर के एक complete cycle में blood heart से दो बार होकर गुजरता है, इसे double circulation कहते हैं |

Human के circulatory system में, blood का heart से lungs, और फिर heart में वापस जाने के path को pulmonary circulation कहते हैं। और blood के heart से शरीर के बाकी अंगों और फिर heart में वापस आने के path को systemic circulation कहते हैं और ये दोनों मिल कर double circulation का निर्माण करती हैं |

दोस्तों उम्मीद करता हूँ की इस video मे दी गई knowledge आपको समझ मे आई होगी। अगर आपकी कोई question हो तो प्लीज comment करें।