2nd trimester diet

 

दोस्तों आज हम ये जानेंगे की एक pregnant वुमन को अपने 2 nd trimester मे जो की 13 th week से 27 th week तक होती है, इस period के दौरान उन्हे अपने diet मे क्या बदलाव करनी चाहिए।   

दोस्तों Pregnancy को 3-3 महीनों के 3 steps मे divide किया जाता है। इसके दूसरे step को ही 2nd trimester या दूसरी तिमाही कहा जाता है।

दूसरी तिमाही pregnancy  के चौथे से छठे महीने तक होती है, या ऐसे समझ सकते हैं कि दूसरी तिमाही 13th  वीक से 27 th वीक तक की period होती है।

दोस्तों अधिकतर pregnant वुमन के लिए 2nd trimester, 1st trimester के तुलना मे ज्यादा comfortable होती है। 2nd trimester मे embryo का आकार थोड़ा बड़ा हो जाता है और यही वह समय होता है जब वुमन pregnant  दिखना शुरू हो जाती हैं क्योंकि उनका पेट बढ़ने लगता है

इस समय तक अधिकतर वुमन की पहली तिमाही मे होने वाली मॉर्निंग sickness, थकान के लक्षण समाप्त हो जाते हैं।

Pregnancy की दूसरी तिमाही मे mother और fetus दोनों को balanced और nutritious फूड्स की need होती है। complete diet लेने से baby को पर्याप्त nutrient मिलते हैं, जो उसके development के लिए बेहद जरूरी माने जाते हैं। इतना ही नहीं proper diet लेने से women को भी प्रेग्नन्सी के दौरान होने वाली कई तरह के प्रॉब्लेम्स से बचाव होता है।

इस समय वुमन को विटामिन,मिनेरल्स,प्रोटीन,fat और carbohydrate सही मात्रा मे लेने होते हैं। 2nd trimester के दौरान एक pregnant वुमन को लगभग 2200 से 2400 किलो कलोरी energy लेनी होती है।

चलिए दोस्तों अब ये जान लेते हैं की इस पीरीअड के दौरान कौन कौन से डाइइट लेना सही होता है।

Iron युक्त खाद्य पदार्थ

दोस्तों Iron oxygen को पूरे सरीर मे पहुँचाने मे मदद करता है। pregnancy के दौरान iron contain diet फीटस को oxygen पहुंचाने का काम करता है। इस समय iron ना लेने से pregnant वुमन को anemia और अन्य समस्याएं हो सकती है।इसके अलावा, आयरन की कमी से जन्म लेने वाले baby और मां में कमजोरी और एनीमिया का कारण बनती है। इसीलिए वुमन को इस समय अपनी diet मे हरी पत्तेदार सबजियाँ, dry fruits,बीन्स,कम fat वाला meat को शामिल करना चाहिए।   

 

 

प्रोटेन्स युक्त खाद्य पदार्थ

Pregnancy के दूसरे तिमाही मे वुमन को एक दिन मे 75 से 100 gm प्रोटीन को अपने diet मे लेना चाहिए। रोजाना प्रोटीन लेने से फीटस के brain और अन्य tissue को बढ़ने मे मदद मिलती है। साथ ही प्रोटीन मा के यूटरस और मैमरी ग्लैन्ड के development के लिए भी जरूरी होता है।इसलिए, pregnancy के दौरान प्रोटीन युक्त आहार को भोजन में शामिल करना जरूरी माना गया है। यह प्रेगनेंसी को healthy रखने के साथ ही fetus के development को सुनिश्चित करता है. प्रोटीन लेने के लिए आपको अपने डाइइट मे अंडे, मछली मटर, नट्स, beans, दाल, को जरूर शामिल करना चाहिए।

Folate युक्त खाद्य पदार्थ

दोस्तों फोलिक एसिड को विटामिन बी-9 या फोलासीन और फोलेट के नाम से भी जाना जाता है। folate pregnancy मे बहुत important होता है, यह मुख्य रूप से बेबी मे जन्म से होने वाली neural tube defect जैसे spina bifida से बचाव करता है। folate को आप हरी पतेदार सबजजीया जैसे पालक, पत्ता गोभी,broccoli से ले सकती है। इसके अलावा eggs,orange और साबूत अनाज मे भी folate मौजूद होता है।

कैल्शियम / Calcium :

दोस्तों  दुसरे तिमाही में बच्चे का विकास होते समय हड्डियों के विकास के लिए कैल्शियम की जरुरत होती हैं। दूसरी तिमाही में कैल्शियम का पर्याप्त सेवन करने से प्रीक्लेम्पसिया का खतरा कम हो सकता है.

दूसरी तिमाही में कैल्शियम का सेवन करने से पैर और मांसपेशियों में ऐंठन कम हो सकती है । इस दौरान आपको कैल्शियम की जरुरत को पूरा करने के लिए दूध, दही, पनीर, चीज, रागी, हरी पत्तेदार सब्जिया या जरुरत पड़ने पर डॉक्टर की सलाह से दवा लेने की जरुरत भी पड़ सकती हैं। कैल्शियम के साथ आपको इन आहार से विटामिन डी भी प्राप्त होता हैं। भोजन में अतिरिक्त आधा कटोरी दाल या दही लेकर आप कैल्शियम और प्रोटीन की अतिरिक्त जरुरत को पूरा कर सकते हैं। 

फाइबर / Fiber : 

प्रेगनेंसी के दुसरे तिमाही में महिलाओं को अक्सर constipation की शिकायत हो जाती है जो की प्रेगनेंसी में एक गंभीर समस्या हैं। constipation से छुटकारा पाने के लिए इस दौरान दिनभर में 8 से 10 गिलास पानी और अधिक फाइबर युक्त अनाज खाना चाहिए। फ़ाइबर के लिए साबुत अनाज, दलिया, फल, हरी पत्तेदार सब्जी, चुकंदर, गाजर, ककड़ी, टमाटर का सेवन करना चाहिए।  

ओमेगा 3 / Omega 3 : 

pregnancy में बच्चे के ब्रेन का विकास अच्छे से होने के लिए ओमेगा 3 फैटी एसिड जरुरी होता हैं। इसके अलावा pregnancy मे माँ के सरीर मे ज्यादा red cells के production के लिए omega 3 fatty ऐसिड की जरूरत होती है। ओमेगा 3 फैटी ऐसिड के लिए आप अवकाड़ो, ब्रोकोली, पत्तागोभी, दही, चीज, और मछली ले सकते हैं।

आयोडीन / Iodine : 

दोस्तों pregnancy में आपके शरीर को ज्यादा आयोडीन की जरुरत होती है। baby के brain और nervous system के development के लिए आयोडीन बहुत जरुरी है।इसीलिए आपको भोजन में हमेशा आयोडीन युक्त नमक का सेवन ही करना चाहिए।

दोस्तों इन सब के अलावा pregnancy के दौरान regular exercise करें, पर्याप्त नींद ले, और ऐसी मछली का सेवन ना करे जिनमे mercury हो।

इस तरह आपको प्रेगनेंसी के दुसरे तिमाही में पर्याप्त पौष्टिक आहार लेना चाहिए आप चाहे तो अच्छे डायटीशियन से मिलकर अपने हफ्ते भर का डाइट चार्ट तैयार कर सकते हैं।

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Human respiratory system anatomy and physiology

 


सबसे पहले हम ये जानेंगे की respiration क्या होता है और हमारा respiratory system किस तरीके से काम करता है। इसके बाद हम respiration मे involved organs के बारे मे बात करेंगे । और last मे ये देखेंगे की हमारा Brain breathing और respiration को कैसे regulate करता है।

दोस्तों प्रत्येक जीव को जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। यही ऑक्सीजन cells तक पहुँच कर foods को oxidized कर ऊर्जा पैदा करती है।

Respiration एक ऐसी process है जिसके द्वारा मनुष्य environment से oxygen को लेते हैं तथा cells में कुछ chemical reaction के परिणाम स्वरुप उत्पन्न हुई carbon dioxide को बाहर निकालते हैं।

दोस्तों एक healthy adult प्रति मिनट 250ml oxygen  ग्रहण करता है तथा 200ml carbon dioxide छोड़ता है। 

दोस्तों साँस लेने के दौरान ऑक्सीजन युक्त हवा नाक और मुंह से फेफड़ों तक जाती है। साँस छोड़ने के दौरान co2  और अन्य waste उसी रास्ते से बाहर निकल जाती है। फेफड़ों में हवा को अंदर और बाहर ले जाने की इस process  को पल्मोनरी वेंटिलेशन कहा जाता है।

फेफड़ों में ऑक्सीजन alveoli के through bloodstream मे जाती है। और उसी समय कार्बन डाइ ऑक्साइड bloodstream  से एल्वियोली में आती है और lungs से excrete हो जाती है। Lungs और blood के बीच गैस exchange की इस process को external respiration कहा जाता है।

वहीं Internal respiration में गैसों का exchange कैपिलरी में flowing blood तथा tissue के बीच diffusion के माध्यम से होता है।

दोस्तों Respiratory system हमारे body मे pulmonary ventilation, external और internal respiration,olfaction और phonation को support करता है।

दोस्तों चलिए अब ये जान लेते हैं की हमारा respiratory system कैसे काम करता है।

दोस्तों respiration के मुख्य रूप से दो steps होते हैं पहला जिसमें हम सांस लेते हैं और दूसरा जब हम सांस छोड़ते हैं । जब हम सांस लेते हैं तब हमारी सांस में सिर्फ oxygen ही नहीं आता बल्कि carbon dioxide और nitrogen जैसी अन्य गैसे भी आती हैं। परंतु हमारा शरीर सिर्फ और सिर्फ oxygen गैस का use करता है और बाकी सारी गैसों को बाहर निकाल देता है।

दोस्तों  जैसे ही हम सांस लेते हैं तो हमारा डायाफ्राम नीचे की तरफ चला जाता है जिससे हमारे फेफड़ों को फैलने के लिए जगह मिल जाती है और जैसे ही lungs फैलते हैं तब हवा साइनस (Sinuses) से होती हुई pharynx तक जाती है।

दोस्तों साइनस हमारे सर में हड्डियों के बीच में एक area होता है जब हम सांस लेते हैं तब साइनस हवा के temperature को संतुलन में रखता है और हवा में present dust particle को हमारे शरीर के अंदर जाने से रोकता है।

इसके बाद हवा विंड पाइप से होती हुई हमारे फेफड़ों तक पहुंचती है। lungs  बाहरी हवा में से ऑक्सीजन absorb कर हमारे शरीर के blood में मिला देते हैं blood  द्वारा यह ऑक्सीजन tissue  तक पहुंचता और tissue द्वारा यह oxygen cells तक पहुंचता है इसके बाद cells oxygen का इस्तेमाल ऊर्जा बनाने के लिए करती हैं।

सांस छोड़ने से पहले शरीर में oxygen और carbon dioxide का exchange होता है जब कोई व्यक्ति सांस छोड़ता है तो डायाफ्राम सिकुड़ता है और फेफड़ों पर दबाव पड़ता है जिससे हवा बाहर निकल जाती है।

दोस्तों Human मे respiratory system को 3 part मे divide किया गया है।

Upper respiratory part जिसमे mouth, nose, pharynx और larynx include है।

Lower respiratory पार्ट मे windpipe यानि की trachea, lungs, bronchi, bronchioles और alveoli included है।

और तीसरा पार्ट respiratory muscle होता है जिसमे mainly diaphragm आता है इसके अलावा इसमे intercostal muscles, rib cage और abdominal muscles भी included है।

दोस्तों आइए अब respiratory system के different organs को डीटेल मे जानते हैं।

दोस्तों Nose पहला respiratory organ है जो बाहर दिखने वाले एक pair  nasal passage से शुरू होता है । यह एक बड़ी cavity के रूप में होती है जो एक पतली हड़डी व membrane के द्वारा दो भागों में divided  होती है । nasal passage में पाए जाने वाले fine hair, membrane में होने वाला blood flow, Cilia तथा mucous आपसी सहयोग से inspired air में present dust , Pollens ,को दूर कर उसे purify  करते हैं । इस purification के बाद  ही inspired air फेफड़ों में प्रवेश करती है।

दोस्तों mouth respiratory system में एक secondary organ के तौर पर कार्य करता है । वैसे तो श्वास लेने में मुख्य भूमिका nostrils की होती है परन्तु आवश्यकता होने पर mouth भी श्वास लेने के काम आता है ।

दोस्तों Respiratory System  में air के लिए nasal cavities  के पीछे  Larynx  तक तथा foods  के लिए mouth  से esophagus  तक का muscular tract  Pharynx कहलाता है।

दोस्तों pharynx  के तीन भाग होते हैं

पहला Nasopharynx जो की nostrils के ठीक पीछे रहता  है।  इसकी पिछली दीवार पर लिम्फाइड टिशू  होते हैं। जिन्हें फैरिंजियल टॉन्सिल्स या adenoids कहा जाता है। कभी-कभी यह tissue  बढ़कर pharynx में रूकावट पैदा कर देते हैं जिससे बच्चे मुंह से साँस लेने लगते हैं।

दोस्तों Oropharynx pharynx का mouth part होता है।

Laryngopharynx pharynx का posterior part होता है है जो hyoid bone से larynx के पीछे तक रहता है । Pharynx के इसी भाग से respiratory system और digestive system अलग-अलग हो जाता है। आगे की ओर से air larynx में जाती है और foods पीछे की ओर से इसोफेगस में जाता है । 

दोस्तों larynx,  pharynx और trachea को जोड़ने वाली एक छोटी सी structure है । यह 9 types की cartilage से मिल कर बना है । foodsको निगलने के दौरान एपिग्लॉटिस larynx के , covering  के तौर पर कार्य करती है तथा foods  को larynx में जाने से रोकती है ।

दोस्तों  larynx में Vocal cord  नाम का एक special structure पाई जाती है । vocal cord mucous membrane होती है जो हवा के बहाव से vibration पैदा कर अलग - अलग तरह की sound produce करती हैं।

दोस्तों lower respiratory organ मे सबसे पहला structure trachea है । इसे Wind Pipe भी कहते हैं। यह एक cylindrical tube होती है। इसकी लम्बाई 10 सेमी होती है। और इसमें 16-20 cartilage के incomplete रिंग होते हैं।

दोस्तों trachea अंत में दायीं और बाँयी ओर की bronchi में divide होती है । primary bronchi फेफड़ों में जाकर छोटी branch में बंट जाती हैं, जिसे secondary bronchi कहते हैं। जो further tertiary bronchi मे डिवाइड होती है। प्रत्येक tertiary bronchi छोटी – छोटी ब्रोन्किओल में बंट जाती है । ये ब्रोन्क्रिओल फेफड़ो में फैले रहते हैं । हर ब्रोन्किओल आगे चल के छोटी Terminal ब्रोन्किओल में divide होती है ।

Bronchi और bronchioles मिल कर एक tree like structure बनाते है जो बहुत सी branch में divide होती है । इन branch के अंतिम छोर पर Alveoli पाए जाते है । गैसो का exchange इन alveoli के माध्यम से ही होता है।

दोस्तों lungs flexible, soft और light pink color के होते है । ये एक pair के रूप में शरीर के Thoracic region में दांए व बांए भाग में diaphragm के ठीक ऊपर होते हैं ।

Right lung, left lung से लंबाई में थोड़ा छोटा पर कुछ अधिक चौडा होता है । दोस्तों left lung दो Lobes और right lungs तीन lobes में divide होता है ।

प्रत्येक lung spongy tissue से बना होता है जिसमें कई Capillaries तथा करीब 30 मिलियन alveoli पाई जाती है ।

दोस्तों lungs का main function environment से ऑक्सीजन लेकर उसे blood circulation में प्रवाहित करना और blood से कार्बन डाई ऑक्साइड को absorb  कर उसे environment में छोड़ना है। गैसों का यह exchange alveoli मे होता है।

3. श्वसन माँसपेशियाँ

दोस्तों lungs में गैस exchange के लिए कुछ muscles की आवश्यकता होती है । ये muscles श्वास को लेने व छोड़ने में मदद करती है । मुख्य रूप से breathing के लिए डायफ्राम होता है ।

दोस्तों Diaphragm, skeletal muscle से बनी हुई एक पलली चादरनुमा structure है जो thoracic site की सतह पर पाई जाती है । diaphragm के contraction से air nostril से होती हुई lungs के अंदर enter होती है। और diaphragm के relaxation से air lungs के बाहर निकलती है । इसके अतिरिक्त ribs में Inter Coastal Muscles पाई जाती है जो diaphragm के contraction और relaxation में मदद करती हैं

दोस्तों आइए अब ये जानते है की हमारा brain किस प्रकार breathing को control करता है। 

दोस्तों respiration एक involuntary function है। pons और medulla oblongata द्वारा निकला nerve impulse respiration रेट को कंट्रोल करता है।

दोस्तों एक adult मे normal breathing rate 12-15 breath per minute होता है। metabolic needs के according हमारा body breathing rate को adjust करता है। जब हमारा सरीर अधिक आक्सिजन का use करता है या हमरे ब्लड मे बहुत अधिक co2 रहता है तो हमारे blood मे present chemoreceptors brain को signal भेजता है और हमारा breathing rate बढ़ जाता है ताकि ज्यादा से ज्यादा gas का exchange हो सके।

इसके अलावा छींकने और खांसने जैसी हरकतें भी थोड़े समय के लिए सांस लेने के पैटर्न को बदल सकती हैं।