PLACENTA PREVIA

दोस्तों placenta एक ऐसा organ है जो pregnancy के दौरान आपके यूटरस के lining के अंदर बढ़ता है। यह umbilical cord यानि गर्भनाल से जुड़ा होता है, और आपके यूटरस मे पल रहे बच्चे को oxygen, और nutrients की supply करता है। यह waste products को भी आपके बच्चे से दूर करता है। 

दोस्तों sperm और egg के fertilization के बाद fertilized egg फेलोपियन ट्यूब से होते हुए uterus में implant होता है। इस process के दौरान normal cases में egg खुद को uterus में सबसे ऊपर की ओर attach करता है। लेकिन कई बार fertilized egg गर्भाशय यानि uterus के निचले हिस्से से ही खुद को जोड़ लेता है. Simple word में कहें तो इस तरह के मामलो में umbilical cord या प्लेसेंटा जो बच्चे के विकास में अहम रोल निभाता है, ठीक यूटरस के मुंह पर स्थित हो जाता है जो कई तरह से खतरनाक साबित हो सकता है.

जैसे ही आपका uterus लेबर के दौरान open होता है यह placenta को यूटरस से जोड़ने वाली ब्लड vessels के फटने का कारण बन सकता है। इससे भारी bleeding हो सकती है। इस हालत मे लगभग सभी वुमन के लिए c सेक्शन यानि seizures की अवस्यकता हो सकती है।

दोस्तों यदि pregnancy के सुरुवात मे ही placenta Previa है, तो आमतौर पर इससे आपको कोई problems नहीं होती है। हालांकि pregnancy के अंतिम भाग या 3 rd. Trimester मे ये problems severe bleeding और other complications का कारण बन सकती है।

दोस्तों मुख्य रूप से placenta Previa 3 types के होते हैं।

Complete placenta Previa: Complete placenta Previa की स्तिथि तब होती है जब placenta uterus से लेकर cervix तक के पूरे रास्ते को पूरी तरह से cover कर लेता है।

Partial Placenta Previa: Partial Placenta Previa के स्तिथि मे यूटरस के gate यानि cervix का कुछ हिस्सा ही placenta द्वारा cover किया जाता है।

Marginal Placenta Previa: Marginal Placenta Previa वह सिचूऐशन है जिसमे placenta cervix के पास situated होता है लेकिन cervix को कवर नहीं करता है।

दोस्तों लो लेवल placenta या लो placenta सब्द का use placenta Previa और marginal placenta Previa दोनों स्तिथि को बताने के लिए किया जाता है।

Diagnosis  

दोस्तों अल्ट्रासाउंड स्कैन के जरिये डॉक्टर को आपकी प्लेसेंटा की स्थिति का पता चलता है। यदि आप pregnancy की शुरुआत में अल्ट्रासाउंड स्कैन कराएं और इसमें प्लेसेंटा cervix के पास दिखाइ दे, तो भी चिंता न करें। baby के बढ़ने के साथ आपका बढ़ता uterus शायद placenta को ऊपर की तरफ खींच लेगा और यह cervix से दूर हो जाएगी। इसे प्लेसेंटल माइग्रेशन कहा जाता है। ऐसा उन अधिकांश मामलों में हो जाता है जहां placenta pregnancy की शुरुआत में नीचे की तरफ स्थित होती है।

लेकिन यदि pregnancy के 20वें week मे या इसके बाद के वीक मे किसी pregnant lady को bleeding हो रहा है तो placenta Previa की आसंका हो सकती है। placenta Previa की screening के लिए आमतौर पर ultrasound technique का use किया जाता है। इससे placenta की मौजूदा situation की exact जानकारी मिल जाती है और doctor को इससे पता चल जाता है की placenta uterus के cervix के रास्ते को कितना cover कर रहा है। लेकिन कुछ मामलों में placenta  uterus  से पिछली तरफ भी होता है। ऐसे में जांच के लिए ट्रांसवेजिनल अल्ट्रासाउंड (टीवीएस)  का help लिया जाता है। इसमें vagina के अंदर ट्रांसड्यूसर inserts करके पता लगाया जाता है कि placenta किस जगह है।

 

दोस्तों आइए अब ये जानते हैं की placenta Previa किन वुमन मे कॉमन है।

दोस्तों placenta Previa के होने के पीछे का exact cause क्या है यह अब तक ज्ञात नहीं है लेकिन कुछ मामलों मे यह कॉमन होता है जैसे-

अगर पहली डिलीवरी सिजेरियन हुई हो।

पहले अगर abortion हुआ हो।

Uterus का abnormal तरीके से ग्रोथ होना।

पिछले pregnancy मे भी यदि placenta Previa की problem रही हो

Smoking alcohol tobacco का सेवन करने की आदत हो।

या फिर uterus related कोई inborn problems हो

 

 

 

 

Effect of placenta previa:

दोस्तों प्लेसेंटा प्रिविया का main effect यह है कि आपकी डिलीवरी सीजेरियन ऑपरेशन से होगी। मगर, और भी कुछ complexion हैं, जिनके बारे में आपको पता होना चाहिए। जैसे की अगर, आपको प्लेसेंटा प्रिविया है, तो pregnancy या डेलीवेरी के दौरान अचानक बिना दर्द के bleeding  होने का खतरा रहता है।

इसके अलावा एक और rare complication हो सकता है जिसमे placenta खुद को uterus की दीवार में काफी गहराई तक implant कर लेती है,और baby के जन्म के बाद बाहर निकलने की बजाय यह यूटरस से जुड़ी रहती है। इस condition को placenta ऐक्रिटा कहते हैं। अगर आपका पहले सीजेरियन ऑपरेशन हो चुका है, तो ऐसा होने की संभावना अधिक रहती है। और आपके जितने ज्यादा सीजेरियन होते हैं, यह खतरा उतना ही ज्यादा बढ़ जाता है।

सामान्यत: जैसे-जैसे pregnancy आगे बढ़ती है, प्लेसेंटा प्रिविया की समस्या अपने आप ही दूर हो जाती है। ऐसा यूटरस का आकार बढ़ने के कारण होता है। वहीं, अगर 2 nd trimester में लो-लाइंग प्लेसेंटा का पता चल जाए, तो 3 rd trimester के मध्य तक डॉक्टर lady की condition के अनुसार कुछ suggestion  दे सकते हैं। fetus और mother का health और यूटरस में fetus  का location और position , इन सब factors पर depend  करता है कि normal डेलीवेरी होगा या सीसेक्शन डिलीवरी होगी। यदि pregnancy के बाद के steps में प्लेसेंटा प्रीविया की स्थिति विकसित हो जाती है तो सीसेक्शन डिलीवरी की संभावना बढ़ जाती है।

दोस्तों placenta previa मे blood के deficiency को रोकने के लिए sufficient amount मे nutritious फूड्स लें, especially आयरन से भरपूर diet जैसे कि red meat, दाल और हरी पत्तेदार सब्जियां। यह आप में खून की कमी होने की संभावना हो कम करेगा। इसके अलावा आपको नियमित तौर पर आपके डॉक्टर द्वारा prescribed किए गए iron supplements को भी लेना चाहिए।

दोस्तों उम्मीद करता हूँ की इस video मे दी गई सारी जानकारी आपको समझ मे आ गई होगी , दोस्तों आपका एक suggestion हमारे video को और बेहतर बना सकता है। इस विडिओ से related अगर आपकी कोई question हो तो please कमेन्ट करें और चैनल को subscribe करना न भूलें।  

 

Joints and its type

 

 

दोस्तों, क्या आपने सोचा है कि जब हम Football को Kick करते हैं तो हमारा पैर कैसे मुड़ जाता है या हमारी हड्डी किस प्रकार एक दूसरे से जुड़ी हुई होती हैं? यदि नहीं, तो हम आपको बता दें कि joints में होने वाली movement के कारण ऐसा संभव होता है। प्रत्येक joints में मांसपेशियों की सिकुड़न और प्रसार से कुछ क्रियाएँ होती हैं जैसे flexion,stretching,adduction,abduction,rotation इत्यादि।    

दोस्तों joint शरीर के उन स्थानों को कहते हैं, जहाँ दो bones एक दूसरे से मिलती है, जैसे shoulder, elbow,या hip joint

दोस्तों joints पूरे शरीर के bones को hold कर एक साथ रखता है, और movement को support करता है। joints के कारण ही हम उठने, बैठने, चलने –फिरने, झुकने, लेटने और इसी प्रकार के सैकरों कार्यों को पूरा कर सकते हैं।   

दोस्तों सरीर मे mainly 3 types के joint होते हैं- पहला immovable joint or fibrous joint , दूसरा slightly moveable joint और तीसरा moveable joints

Immoveable joint:

इन joints में bones joined होता है। दोनों bones के बीच कुछ भी अंतर नहीं होता। इस कारण bones के confluence  पर किसी प्रकार की movement नहीं हो पाती। इस तरह के joints मे  दोनों bones  फाइब्रस tissue द्वारा आपस में जुड़ी रहती हैं। skull की bones, ribs और sternum के 1 st pair के बीच का जॉइंट्स इमूवबल joint का example है।

Slightly movable joint

Slightly movable joint को amphiarthroses कहा जाता है। इस प्रकार के joints मे bones hyaline cartilage or fibrocartilage द्वारा जुड़ा होता है। hip bone, vertebrae bone slightly movable joint का example है।

Movable joints

Movable joint को synovial joint भी कहा जाता है। इस type के joints मे synovial फ्लूइड होता है,जो joints के सभी भागों को एक दूसरे के against smooth रूप से चलने मे सक्षम बनाता है। body मे सबसे ज्यादा इसी प्रकार का joints पाया जाता है। knee joint, shoulder जॉइंट्स,एल्बो joints movable joint का example है।

दोस्तों movable joints मे इस्थित bones के बीच कोई direct contact नहीं होता है। synovial joint की सबसे बड़ी विशेषता articular कपसूल की presence होती है जो दो bones के बीच होती है। synovial joints की bone surface articular cartilage के coating से protect रहता है।

दोस्तों synovial या movable joint mainly 6 types की होती है।

1.  Ball and socket joints : इस तरह के joints में दो हड्डियां शामिल होती हैं। इन दो bones में से एक का सिरा बड़ा और गोल होता है जो दूसरी bones के कप जैसे सॉकेट में फिट हो जाता है। इस तरह का joints आमतौर पर बड़ी हड्डियों जैसे shoulder और hip joint में पाया जाता है।

2.  Hinge Joints : इस joints को एक simple  joints कहा जाता है। इस तरह का joint एक दरवाजे की तरह होता है जो एक direction मे खुलता है और बंद होता है। इस तरह के joints मे bones केवल एक axis मे ही move करता है और केवल केवल flexion और extension करता है। elbow joint और knee joint इस तरह के joint का example है।

3.  Pivot joint इस प्रकार के joints मे bone केवल एक axis पर ही move करता है। spine के टॉप पर पाए जाने वाला atlas और axis एक pivot joint बनाता है जिसके कारण head movement करता है।

4.  Gliding joint : यह joint ball and socket joint की तरह ही होता है, लेकिन इसमे rotation नहीं होता है। इस तरह के joints को plane joint कहा जाता है। wrist joint gliding joint का example है।

5.  Saddle joints : saddle joint , gliding joint की तरह ही होती है जिसमे 2 bones होती है। 2 bone मे से एक की surface concave और दूसरी की surface convex होती है। इसमे एक bone की convex surface दूसरे bone की concave surface से articulate होती है, जिसके कारण इसमे rotation नहीं होता है बल्कि back एण्ड forth और side by side movement होती है। thumb के base पर present joint saddle joint का example है।

6.  Condylar joints: एक condylar joint circular motion, flexion, और extension को आलो करता है। wrist मे radius बोने और carpel bone के बीच का joint condylar जॉइन्ट का example bones है।

joints में आर्टिकुलर कार्टिलेज age के साथ कम हो जाता है। यह degeneration knee, elbow, shoulder और hip में सबसे आम है। ऑस्टियोआर्थराइटिस जिसमे joint cartilage degenerate हो जाता है जिसके कारण joint pain और सूजन हो जाती है