Multigrain Aata

 

दोस्तों मै हूँ सत्येन्द्र और स्वागत है आपका Scientech biology में। दोस्तों क्या रोटियां, परांठे या ब्रेड के बिना आप अपने रोज के आहार की कल्पना कर सकते हैं? ये सभी चीजें आटे से बनती हैं और आटा अनाजों से। अनाज energy का प्रमुख source हैं।

दोस्तों आयुर्वेद में अनाज को शुकधान्य कहा जाता है। यह आयुर्वेदिक आहार का एक जरूरी भाग है। शरीर की कार्यप्रणाली को सामान्य बनाए रखने के लिए इनका सेवन जरूरी है। सेहतमंद रहने के लिए हमें ऐसे भोजन का सेवन करना चाहिए, जिसमें मैक्रो-न्युट्रिएंट्स (कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और fat  और माइक्रो-न्युट्रिएंट्स (मिनरल्स और विटामिन्स) संतुलित मात्रा में हों। अनाजों में सभी आवश्यक पोषक तत्व पाए जाते हैं। ये हमें ऊर्जा देते हैं, इनमें फाइबर भी भरपूर होता है।

दोस्तों भारत मे रोटी प्रमुख भोजन के तौर पर खाई जाती है। और रोटी पकाने के लिए गेहूं के आटे का use होता आया है। लेकिन पिछले कुछ सालों में पोषण के प्रति बढ़ती जागरूकता के कारण गेहूं के अलावा अन्य आटों का उपयोग भी होने लगा है।गेहूं के अलावा अन्य आटा मे बाजरा, ज्वार, मक्की, रागी शामिल है। इन सब आटे मे anti-oxidant और पोषक तत्व की मात्रा गेहूं की तुलना मे कहीं अधिक होते हैं।

दोस्तों आज के विडिओ मे मै आपको विभिन्न प्रकार के आटे और उसके benefit के बारे मे बताने जा रहा हूँ।

गेहूं का आटा(wheat flour)

गेहूं से केवल आटा ही नहीं, मैदा, सूजी, दलिया आदि भी तैयार किए जाते हैं। रोटी, ब्रेड, बिस्किट, टोस्ट, केक, पेस्ट्री, नूडल्स, पास्ता, मैक्रोनी आदि जैसी अनगिनत चीजें गेहूं से बने उत्पादों से तैयार होती हैं। यह दुनिया में सबसे अधिक खाया जाता है।

गेहूं के आटा से बने रोटी खाने से ब्लड कोलेस्ट्रॉल सामान्य रहता है। यह वजन कम करने में भी ये सहायक है। गेहूं के आटे  में कई तरह के विटामिंस जैसे फोलेट, राइबोफ्लेविन, विटामिन बी1, बी3 और बी5 मौजूद होते हैं। ये भोजन में मौजूद कार्बोहाइड्रेट को ऊर्जा में बदलने में मदद करते हैं। इसके अलावा, गेहूं के आटे  में अमीनो एसिड और एंटीऑक्सीडेंट्स भी होते हैं।
गेहूं को साबुत रूप में खाना सबसे अच्छा रहता है। इसे पीसने के बाद छानना नहीं चाहिए, चोकरयुक्त आटे का सेवन करें। व्हाइट ब्रेड की बजाय आटा ब्रेड या होल-ग्रेन ब्रेड खाना बेहतर है।मैदे और उससे बने उत्पादों का सेवन बिल्कुल न करें। यह शरीर के लिए धीमे सफेद जहर की तरह काम करता है। दरअसल मैदा, गेहूं का वह आटा है, जिसे बनाने में सभी पोषक तत्व निकल जाते हैं, केवल कार्बोहाइड्रेट बचता है।

दोस्तों गेहूं मे पाए जाने वाले कुल प्रोटीन का 80 प्रतिशत ग्लुटन होता है। यह serious immune response को ट्रिगर कर सकता है। जिन्हें सिलिएक डिसीज, ग्लुटन और गेहूं से एलर्जी और इरिटेबल बाउल सिंड्रोम है, उन्हें गेहूं या गेहूं से बने product नहीं खाना चाहिए।

 

 

 

मक्का का आटा

दोस्तों मक्का का आटा फाइबर, विटामिन, मिनरल और एंटी ऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है। कार्बोहाइड्रेट व शुगर ज्यादा होने के बावजूद, यह हाई ग्लाइसेमिक फूड नहीं है, इसलिए ये blood में शुगर के लेवल को तेजी से नहीं बढ़ाता है। यह विटामिन ए, बी, ई और कई मिनरल का अच्छा source है। आयुर्वेद में गर्मियों में इसे खाने की सलाह देते हैं। यह पित्त दोष शांत करता है। जिन्हें कब्ज रहती है, उनके लिए इसका सेवन अच्छा है। यह उच्च रक्तदाब को भी ठीक करता है।

ओट्स या जई का आटा

ओट्स या जई की पोषकता को देखते हुए इसे सुपर ग्रेन की संज्ञा दी जाती है। ओट्स विटामिनों, minerals और फाइबर से भरपूर होता है। दुनियाभर में इसका सेवन बढ़ रहा है। यह soluble फाइबर बीटा-ग्लुकान का बेहतरीन source है, जो पाचन तंत्र के ठीक से काम करने में मदद करता है। यह शरीर में bad कोलेस्ट्रॉल को भी कम करता है।
ओट्स खाने के बाद पेट काफी देर तक भरा हुआ लगता है। वजन कम करने के इच्छुकों को इसे खाने की सलाह दी जाती है। इसका soluble फाइबर कार्बोहाइड्रेट के digestion को slow कर देता है, जिससे blood में शुगर का level तेजी से नहीं बढ़ता है।

बाजरा का आटा

बाजरे में शरीर की immunity बढाने वाले फाइटोकेमिकल्स होते हैं। यह कोलेस्ट्रॉल के level को कम करने में मदद करता है। इसमें फाइबर, आयरन, मैग्नीशियम, कॉपर, जिंक और विटमिन ई पर्याप्त मात्रा में होते हैं। यह डायबिटीज के रोगियों के लिए उपयोगी साबित होता है। इसमें ग्लुटेन नहीं होता। इस कारण यह आसानी से हजम हो जाता है। iske sath यह आयरन का एक अच्छा source है।

इसके आटे की तासीर गर्म होती है। इसे गर्मी में ज्यादा न खाएं। इसके अधिक प्रयोग से यह शरीर में हाई यूरिक एसिड बनाने लगता है। इसलिए किडनी और रूमेटिक के रोगियों को इसका सेवन डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए।

बार्ली या जौ का आटा

जौ के आटे में कैलोरी और fat की मात्रा ओट्स से भी कम होती है, पर फाइबर खूब होता है। यह वजन कम करने के लिए अच्छा माना जाता है। जौ intestine में पाए जाने वाले आवश्यक बैक्टीरिया का संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जौ, शुगर के level को काबू रख टाइप 2 डायबिटीज के खतरे को कम करता है।

जौ की तासीर ठंडी होती है। जिन्हें asthama या respiratory system se जुड़ी problem हैं, unhe इसे limit amount में khana chahiye । जौ में ग्लुटन काफी होता है। agar apko ग्लुटन की एलर्जी है, तो इसे ना खाएं।

ज्वार का आटा

दोस्तों ज्वार का आटा गेहूं के आटे से कई गुना बेहतर होता है। ज्वार के आटे में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं। यह ग्लुटेन रहित और नॉन एलर्जिक होता है। यह फाइबर, फॉस्फोरस और आयरन का भंडार है। इसमें अल्कालाइन नहीं होता, जिससे यह आसानी से पच जाता है। ज्वार विटमिन बी कॉम्प्लेक्स का अच्छा स्त्रोत है। vegetarian लोगों के लिए ज्वार का आटा प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत है।

रागी का आटा

इसमें प्रोटीन high amount में  और fat कम होती है। इसमें मौजूद पौष्टिक गुणों के कारण south india में इसे पीस कर दूध/छाछ/ में पका कर बच्चों को पहले भोजन के रूप में दिया जाता है। रागी कैल्शियम, आयरन, फाइबर, प्रोटीन और मिनरल्स का अच्छा source है। इसमें फाइबर प्रचुर मात्रा में होता है, जिससे वजन नियंत्रित रहता है। रागी डायबिटीज, एनीमिया और हार्ट disease के  रोगियों के लिए बहुत अच्छा होता है। यह हड्डियों को भी मजबूत बनाता है।

दोस्तों health experts का मानना है कि एक तरह के आटे की बजाय कई तरह के अनाजों को मिलाकर बना आटा खाना चाहिए। इससे nutritional value और स्वाद दोनों बढ़ जाते हैं।

दोस्तों वैसे तो बाजार में कई कंपनियों के मल्टीग्रेन आटे उपलब्ध हैं, आप अपनी जरूरत के अनुसार इनमें से चुन सकते हैं। आप घर पर भी इसे आसानी से तैयार कर सकते हैं।

दोस्तों 11 किलो multigrain आटा तैयार करने के लिए 7 kg गेहूं का आटा, ½ kg ज्वार का आटा, ½ kg रागी का आटा, 1/2kg जौ का आटा, 1/2kg ओट्स या जई का आटा, 1/2kg बाजरा,1/2kg चना, ½ kg soybean और ½ kg मक्के का आटा को मिलाए ।

आयुर्वेद के अनुसार, मल्टी-ग्रेन आटा बनाने के लिए विभिन्न अनाजों को इस अनुपात में मिलाएं:
गेहूं 1 भाग जौ1/4भाग चना 1/4 भाग बाजरा 1/4 भाग मूंग1/4 भाग

BROWN RICE

 

दोस्तों अच्छी सेहत के लिए हमारा खान पान बेहद संतुलित होना चाहिए और इसके साथ ही जिन खाद्य पदार्थों का सेवन हम कर रहे हैं उनके फायदे और नुकसान के बारे में जानकारी भी होनी जरूरी है।

आजकल ब्राउन राइस का सेवन ज्यादातर लोग कर रहे हैं। ब्राउन राइस साबुत चावल होता है जिसे सामान्य सफ़ेद चावल के मुकाबले कम प्रोसेस किया जाता है। आमतौर पर सफ़ेद चावल को प्रोसेस कर उनका छिलका और बाहरी परत निकाल दिया जाता है और इसके बाद इसे पॉलिश भी किया जाता है लेकिन ब्राउन राइस को पॉलिश नही किया जाता है। सेहत के लिए ब्राउन राइस को बेहद फायदेमंद माना जाता है।

ब्राउन राइस अनसैचुरेटेड फैटी एसिड, प्रोटीन, मिनरल्स, विटामिन्स और स्टार्च के गुणों से भरपूर होता है। इसका उपयोग बॉडीबिल्डिंग से लेकर डायबिटीज, प्रीडायबिटीज और ह्रदय से जुड़ी बीमारियों के बचाव के लिए भी लोग करते हैं।

सेहत के लिए फायदेमंद माने जाने वाले ब्राउन राइस में अनेकों पोषक तत्व पाए जाते हैं। हालांकि यह एक चावल का एक सामान्य रूप ही है लेकिन इसमें मौजूद पोषक तत्व शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं।

सफ़ेद चावल की तुलना में ब्राउन राइस ज्यादा फायदेमंद और सुरक्षित माना जाता है। ब्राउन राइस फोलेट, राइबोफ्लेविन, पोटेशियम और कैल्शियम का भी अच्छा स्रोत होता है। इन पोषक तत्वों के अलावा इसमें मैंगनीज की भी प्रचुर मात्रा पाई जाती है। ब्राउन राइस का सेवन से शरीर में हड्डियों के विकास, मांसपेशियों की मजबूती और ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में सहायता मिलती है।

ब्राउन राइस के सेवन के अनेकों स्वास्थ्य लाभ हैं लेकिन इसके सेवन से होने वाले कुछ साइड इफ़ेक्ट भी हैं जिसके बारे में ज्यादातर लोगों को पता नही होता।

आज के video में हम आपको ब्राउन राइस से जुड़ी तमाम बातें बताएंगे।

 

दोस्तों आइए सबसे पहले ब्राउन राइस के सेवन से शरीर को होने वाले कुछ प्रमुख स्वास्थ्य लाभ को जानते हैं।

1. ब्लड शुगर (Blood Sugar) को रखता है नियंत्रित

सफेद चावल में शुगर की मात्रा ज्यादा होती है और इसके कारण डायबिटीज के मरीज इसे खाने से कतराते हैं। लेकिन इसका बेहतरीन विकल्प ब्राउन राइस है, जी हाँ brown rice के सेवन से blood में शुगर का level नहीं बढ़ता है। ब्राउन राइस का ग्लासेमिक इंडेक्स बहुत ही कम होता है और यह धीरे- धीरे पचता है, जिससे blood sugar का level कम रहने में मदद मिलती है।

वजन कम करता है
जो लोग वजन कम करना चाहते हैं उनके लिए ब्राउन राइस एक शानदार विकल्प है। इसमें उच्च मात्रा में फाइबर होता है, जिससे पेट भरा रहता है और बार-बार खाने से बच जाते हैं जिससे वजन कम करने में मदद मिलती है। यह आपके metabolic process को उत्तेजित कर वजन घटाने में मदद करता है।

कोलेस्ट्रॉल कम करता है
ब्राउन राइस का सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल कम होता है। यह अनचाहे फैट को शरीर के आंतरिक हिस्सों में जमने से रोकता है। यह घुलनशील फाइबर का स्त्रोत है, जो बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है और गुड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी बढ़ाता है। साथ ही ये heart attack के chances को काम करता है।

हड्डियों के लिए बड़े काम का
हड्डियों को मजबूत बनाने में ब्राउन राइस की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसमें उच्च मात्रा में मैग्नीशियम पाया जाता है। एक कप ब्राउन राइस में 21 प्रतिशत मैग्नीशियम होता है। मैग्नीशियम की कमी के कारण हड्डियों के घनत्व में कमी आ सकती है और ऑस्टियोपोरोसिस व गठिया जैसे रोग हो सकते हैं। magnesium के अलावा इसमें विटामिन डी और कैल्शियम भी होता है जो हड्डियों के विकास के लिए आवश्यक है।

ब्राउन राइस for children

चूंकि ब्राउन राइस nutrients का घर है यह बच्चों के लिए बहुत ही पोस्टिक आहार है। यह बच्चों में शीघ्र विकाश को बढ़ावा देता है। इसमे present फ़ाइबर बच्चों में मल त्याग को नियमित करता है और कब्ज से भी छुटकारा दिलाता है। इसके अलावा यह खाने में सुरक्षित होता है और इससे allergy होने की chances भी नहीं होती।

ब्राउन राइस फॉर Nervous system

Nervous system के health के लिए faty acid और hormone का पर्डक्शन compulsory है। ब्राउन राइस में high अमाउन्ट में manganese पाया जाता है जो दोनों के ही production को बढ़ावा देता है और nervous system को healthy बनाए रखता है। इसके अलावा ब्राउन राइस में विटामिन b भी होता है जो brain को इक्साइटिड कर नसों के कार्य में सुधार लता है। साथ ही इसमे present magnesium कैल्सीअम और potassium साथ मिलकर muscles cells को healthy बनाए रखता है

 

कैंसर से सुरक्षा
ब्राउन राइस के सेवन से ल्यूकेमिया, ब्रेस्ट कैंसर, कोलोन कैंसर और अन्य प्रकार के कैंसर से शरीर की सुरक्षा होती है। इसमें उच्च मात्रा में मौजूद फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट लाभ पहुंचाते हैं। अध्ययनों में पाया गया है कि ब्राउन राइस जैसे साबुत अनाज ब्रेस्ट कैंसर और अन्य हार्मोन संबंधित कैंसर के खिलाफ सुरक्षा करते हैं।

ज्यादातर स्वास्थ्य विशेषज्ञों के यह मानना है कि ब्राउन राइस का सेवन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है इसके सेवन से होने वाले कुछ खास दुष्प्रभाव नही है। लेकिन कुछ अध्ययनों में यह पाया गया है कि ब्राउन राइस में फाइबर की मात्रा अधिक होती जिसकी वजह से कमजोर पाचन तंत्र वाले लोगों को नुकसान हो सकता है। हाई फाइबर की मात्रा वाले खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन पाचन से जुड़े रोग जैसे दस्त, कब्ज और अपच की समस्याएं पैदा कर सकता है। ब्राउन राइस में आर्सेनिक में अधिक मात्रा में होता है जिसकी वजह से उल्टी, सिरदर्द या जी मचलाने जैसी समस्याएं हो सकती है। नियमित रूप से अधिक मात्रा में ब्राउन राइस का सेवन करने से ये समस्याएं हो सकती हैं।

 

ब्राउन राइस को लेकर कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। लंबे समय के लिए पकाया हुआ ब्राउस राइस न रखें और इसे एक बार से ज्यादा गर्म न करें। इस बात का ध्यान रखें कि ब्राउन राइस की बाहरी फाइबर की परत के कारण इसे पकने में सफेद चावल की तुलना में ज्यादा समय और ज्यादा पानी की जरूरत होती है। लंबे समय तक इसे स्टोर न करें क्योंकि ऐसा करने से प्राकृतिक तेल की क्षमता कम हो जाती है। इसे कमरे के तापमान पर छह महीने के लिए एयरटाइट कंटेनर में स्टोर कर सकते हैं।