Pregnancy complication

 

Dotson प्रेग्नेंसी से पहले, इस दौरान और प्रेग्नेंसी के बाद भी महिलाओं के लिए कई सारी complication आती हैं।  ये complication  सिर्फ फिजिकल ही नहीं होतीं, बल्कि psychological भी होती हैं जो मां या बच्चे किसी के भी हेल्थ को affect करती हैं। ऐसे में जरूरी ये है कि आप अपने प्रेग्नेंसी के दौरान स्वास्थ्य से जुड़ी तमाम स्थितियों का ख्याल रखें और इससे जुड़े कोई भी संकेत को ignore न करें।

दोस्तों इन सारे complication को समझने और इससे बचने के लिए pregnencyfy एक बेहतरीन और useful app है, जिसके हेल्प से pregnant women का care properly किया जा सकता है।  

इस app के जरिए आप अपना due date जान सकते हैं। इसके साथ ही ये app आपको pregnancy के दौरान baby के growth और mother के साथ जो changing होता है उसके बारे में भी बताता है। इस app में आपको बेबी kick counter और baby contraction timer भी मिल जाएगा जिसके जरिए आप बेबी के kick को track कर सकते हैं। और साथ ही pregnancy से related और भी बहुत सारी information आपको इस app से मिल जाती है। अगर आप ये जानना चाहते हैं की आपको अपने pregnancy के दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए तो तुरंत ही app को play store या apple store से download करें। इस app की download link आपको description  में भी मिल जाएगी।   

हालांकि,  pregnancy की शुरुआती समस्याएं  की बात करें, तो इनमें bleeding, abortion , और कुछ other serious problems शामिल है। इसके अलावा भी प्रेग्नेंसी की ऐसी कई आम समस्याएं हैं, जो हर महिला अनुभव करती हैं। तो आइए detail में जानते हैं प्रेग्नेंसी से जुड़ी कुछ main complications के बारे में।

1.   Heavy bleeding:

कुछ females को pregnancy के शुरुआती दिनों में bleeding की शिकायत होती है जो कि नॉर्मल बात है। इसे implantation bleeding  भी कहा जाता है। अगर प्रेगनेंट महिला को खासतौर पर प्रेगनेंसी के आखिरी दिनों में बहुत ज्यादा ब्‍लीडिंग हो रही है तो इसे हल्के में न लें। जिन महिलाओं में placenta गलत जगह पर होता है, उनमें इस तरह की ब्‍लीडिंग का खतरा अधिक होता है। ये मां और बच्चे दोनों के लिए dangerous होता है।

2.    Contraction:

वैसे तो प्रेगनेंसी के दौरान पेट में हल्की ऐंठन होना आम बात है लेकिन अगर तेज कॉन्‍ट्रैक्‍शन यानी संकुचन महसूस हो रहा है तो यह गंभीर समस्या हो सकती है। डिलीवरी डेट से काफी समय पहले बार बार या painful कॉन्‍ट्रैक्‍शन होना premature labor का संकेत हो सकता है इस बारे में तुरंत डॉक्टर को बताएं।

 

 

3. एनीमिया (Anemia)

एनीमिया healthy  red blood cells की सामान्य संख्या से कम होने पर होती है। महिलाओं में खून की कमी के पीछे सबसे बड़ा कारण एनीमिया है।pregnancy से संबंधित एनीमिया से पीड़ित महिलाएं थका हुआ और कमजोर महसूस कर सकती हैं। ऐसे में आयरन और फोलिक एसिड सप्लीमेंट लेने से यह मदद मिल सकती है। इसके अलावा डॉक्टर इस दौरान लगातार महिलाओं का ब्लड टेस्ट करवाते हैं। 

4. यूटीआई इंफेक्शन (UTI Infection)

Urinary tract का infection प्रेग्नेंसी में बहुत आम हो जाती है। ये यूटीआई इंफेक्शन के कारण होता है । pregnancy के दौरान यूटीआई होना आम बात है। शिशु के बढ़ने पर bladder और  urinary tract पर दबाव पड़ने की वजह से बैक्टीरिया urinary tract में रह जाता है जिससे इंफेक्शन पैदा होता है।
प्रेगनेंसी में uterus का आकार बढ़ता है जिससे urinary tract और urinary bladder पर दबाव पड़ता है। गर्भावस्था के दौरान यूरिन कम एसिडिक होता है और इसमें अधिक प्रोटीन, शुगर और हार्मोंस होते हैं। ये कारण भी यूटीआई के जोखिम को बढ़ा देता है। यूटीआई के लक्षणों और संकेतों में पेशाब करते समय दर्द या जलन महसूस होना, झागदार पेशाब आना, कमर दर्द या पेल्विस में दर्द, बार-बार पेशाब आना, पेशाब करने की इच्छा होना, बुखार, nausea या उल्‍टी शामिल हैं। -निचले पेट में दबाव।

5. हाई बीपी  (high bp) और  Preeclampsia

गर्भावस्था से पहले और उसके दौरान हाई ब्लड प्रेशर की समस्या pregnant  महिला और उसके बच्चे को खतरे में डालता है। यह obstetric  संबंधी complications  जैसे कि प्रीक्लेम्पसिया, प्लेसेंटल एबॉर्शन  और जेस्टेशनल डायबिटीज के लिए बढ़े हुए जोखिम के साथ जुड़ा हुआ है। इन महिलाओं को डिलीवरी में कई परेशानियां हो सकती हैं, जैसे कि preterm delivery,उम्र के हिसाब से शिशु छोटा होना और infant death सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि pregnant होने से पहले blood pressure की समस्याओं पर चर्चा करें ताकि pregnancy से पहले आपके blood pressure का उचित उपचार और नियंत्रण हो सके।

6. मोटापा और वजन बढ़ना (Obesity and Weight Gain)

pregnant होने से पहले एक महिला का वजन जितना ज्यादा होता है, गर्भावस्था की जटिलताओं का उतना ही अधिक जोखिम होता है, जिसमें प्रीक्लेम्पसिया, जीडीएम, स्टिलबर्थ और सिजेरियन डिलीवरी शामिल हैं। साथ ही, सीडीसी शोध से पता चला है कि गर्भावस्था के दौरान मोटापा कई सारी परेशानियों को और बढ़ा देता है। इसके अलावा वजन का कम होना भी प्रेग्नेंसी की परेशानियों को और बढ़ा सकता है।

7. गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज (gestational diabetes)

pregnancy के दौरान diabetes के types के बारे में जानना बेहद जरूरी होता है। जेस्टेशनल डायबिटीज, वो परेशानी है जो गर्भावस्था में कई complications पैदा करता है। pregnancy के डायबिटीज का प्रारंभ अकसर पाँचवें महीने में होता है और यह condition डिलीवरी के बाद वापस नार्मल हो जाती है । जैस्टेशनल डायबिटीज तब होती है, जब pregnancy के दौरान आपके खून में ग्लूकोस की मात्रा काफी ज्यादा हो जाती है। खून में अत्यधिक sugar होने से आपके और आपके शिशु के लिए समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए आपको गर्भावस्था के दौरान अतिरिक्त देखभाल में रहना होगा।

8.हाथ पैरों में सूजन

प्रेगनेंसी के दिनों में हाथ पैरों या अन्य अंगों में सूजन होना आम बात है लेकिन अगर सूजन वाली जगह पर दर्द हो या उस पर redness और रैशेज आ जाए तो यह चिंता की बात हो सकती है।

Blood clot के कारण ऐसा हो सकता है इसलिए अपनी स्किन पर बारीकी से नजर रखें। हाथ या पैर में painful सूजन आए तो तुरंत डॉक्टर को बताएं।

9.आंखों में धुंधलापन

प्रेगनेंसी के आखिरी दो महीनों में चक्कर आने और आंखों से धुंधला दिखाई दे सकता है। अगर आपको फोकस करने में दिक्कत आ रही है या धुंधला दिखाई दे रहा है तो तुरंत डॉक्टर को बताएं। डायबिटीज से ग्रस्त प्रेगनेंट महिलाओं के लिए खासतौर पर दिक्कत हो सकती है।

10.वैजाइनल डिस्‍चार्ज

pregnancy के समय में वैजाइनल डिस्‍चार्ज होना सामान्य बात है लेकिन पतला फ्लूइड निकलना खतरनाक हो सकता है। आमतौर पर यह पानी की थैली फटने का संकेत हो सकता है और ऐसा डिलीवरी डेट से कुछ दिन पहले होता है। ऐसी स्थिति में प्रेगनेंसी पर गंभीर खतरा मंडरा सकता है।

गर्भ में शिशु के आसपास एमनिओटिक फ्लूइड होता है तो शिशु को सुरक्षा प्रदान करता है। इसी एमनिओटिक फ्लूइड को पानी की थैली कहा जाता है। शिशु के विकास के लिए यह बहुत जरूरी होता है। यदि समय से पहले पानी की थैली फट जाए तो कोई गंभीर जटिलता पैदा हो सकती है।

 

 

 

 

प्रेग्नेंसी की समस्याओं से बचाव का उपाय-

pregnancy के दौरान, यह महत्वपूर्ण है कि एक महिला को healthy और balance diet लेना चाहिए और यह सलाह दी जाती है कि रोज़ जो भी भोजन वो करती हैं उसे दिन में तीन बार लेने की बजाय, छह बार में विभाजित करके खाएं। इसके अलावा, उसे खूब पानी, ताजे फलों का रस, नारियल पानी, मिल्कशेक और अन्य healthy drinks लेना चाहिए। पर्याप्त नींद और pregnant महिला के लिए विशेष योग तकनीकों को आजमाने से ऐसी महिलाओं को काफी आराम मिल सकता है जो गर्भावस्था के दौर से गुजर रही हैं।

यदि pregnant women को pregnancy के कारण कोई गंभीर समस्या होती है, तो उसे तुरंत अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए ताकि वह चिकित्सकीय सहायता ले सके। निर्धारित दवाओं के अलावा दवाएँ लेने से माँ के गर्भ में पल रहे बच्चे पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है और इससे बचना चाहिए।

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